Online Love Story in Hindi | हिन्दी कहानी – आनलाइन प्यार

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Online love story in hindi for girlfriend
हिन्दी कहानी – Online Love Story in Hindi

Online Love Story in Hindi | हिन्दी कहानी – आनलाइन प्यार

हिन्दी कहानी – आनलाइन प्यार: “जब तुम मेरे लिए अपने पति को धोखा दे सकती हो तो किसी और के लिए मुझे भी धोखा दे सकती हो। जो अपने पति की नही हुई वो मेरी क्या होगी” – आज विनोद के मुंह से ये शब्द सुनकर दीपा अवाक रह गई थी। उसका दिल बुरी तरह तड़प कर रह गया था।वह बिना कुछ कहे विनोद की गाड़ी से उतरी और अपने घर आ गई। बच्चों को स्कूल से आने में अभी काफी समय था।

दीपा ने एक नजर अपने घर को देखा, फिर सोफे पर बैठकर सोचने लगी कि आखिर क्या मिला उसे ऐसे आनलाइन रिश्ते से?? दीपा का पति अच्छी नौकरी पर था। दो प्यारे बच्चे, खुद का घर- गाड़ी किसी चीज की कमी नही थी उसे सिवाय पति के समय की।

और एक औरत के लिए उसके पति द्वारा उसको दिया गया समय सभी सांसारिक चीज़ो से कीमती होता है। उसका पति आफिस के काम में इतना व्यस्त होता गया कि प्रेम विवाह होने के बावजूद उसे समय देना ही भूल गया था। वैसे भी मर्द का प्यार तब तक ही होता है जब तक वह उसे हासिल न कर ले।

इस शहर में दीपा का अपना कोई था नही और न ही किसी से ज्यादा मिलना-जुलना उसे पसंद था। बस अपने रिश्तेदारों व दोस्तों से फोन पर बात हो जाती थी। अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रही थी।

विनोद उसके शहर में ही रहता था। शुरुआत में तो वह सिर्फ सोशल मिडिया पर ही कभी-कभार दीपा को मैसेज करता रहता था। दीपा ने कभी रिप्लाई तो नही किया पर विनोद का उसकी तारीफ करना उसे भी अच्छा लगता था। कुछ समय बाद वह भी रिप्लाई करने लग गई। फिर पता ही नही चला कि कैसे बात सोशल मिडिया पर मैसेज करने से फोन पर बातचीत होने तक पहुंच गई।

दीपा भी पति के आफिस और बच्चों के स्कूल जाने के बाद समय निकाल कर विनोद से फोन पर बात करने लग जाती। पति और बच्चों के घर के आने तक जितना भी समय मिलता, दोनों फोन पर लगे रहते। हां अगर कभी विनोद को कोई जरूरी काम होता तब उनकी बात नही हो पाती। अपने अकेलेपन में दीपा के कदम कब और कैसे विनोद की तरफ बढते चले गए उसे पता ही नही चला।

विनोद भी उस की हर बात सुनता, समझता व उसकी परवाह करता था। यही तो दीपा चाहती थी। कोई तो हो जिसे वह अपने दिल की हर बात बता सके।

समय ऐसे ही गुजरता गया। अब दीपा को अपने पति से कोई शिकायत नही रहती थी क्योंकि उसने अपना सुकून कहीं और तलाश लिया था।

पर यह सब ज्यादा दिन नही चला। धीरे-धीरे दीपा को महसूस होने लगा कि वक्त के साथ विनोद का व्यवहार काफी बदलने लगा है। अगर दीपा का फोन दो मिनट के लिए भी व्यस्त होता तो विनोद उस से सवाल करने लगता । विनोद नही चाहता था कि दीपा उसके अलावा किसी से भी बात करे।

यहां तक कि दीपा ने अपने परिजनो को भी फोन करना बन्द कर दिया था। उसके मम्मी -पापा ,भाई -बहन खुद फोन करते तो ही वह बात करती। उस पर भी अगर बीच में विनोद का फोन आ जाता तो उसे हर बार अपनी सफाई पेश करनी होती। और तो और अब तो विनोद उसके सोशल मीडिया अकांऊट पर भी नजर रखने लगा था। कभी किसी के कमेंट को लेकर तो कभी किसी के लाइक करने को लेकर विनोद हर बात का विवाद बना देता।

पर दीपा विनोद को खोना नही चाहती थी इसलिए वह वही करती जो विनोद कहता। कितने ही जानने वालों को तो दीपा विनोद के कहने पर बिना किसी कारण ब्लाक कर चुकी थी। सोशल मीडिया से शुरु हुए इस रिश्ते में मुलाक़ातो का दौर आ चुका था।

वैसे तो सब ठीक-ठीक था पर कई बार विनोद बेमतलब की बातों पर दीपा से लड़ाई करने लग जाता। वह बात-बात में दीपा के चरित्र पर सवाल करता, उस पर शक करता। जब भी वे मिलते विनोद उसका फोन जरूर चैक करता। एक बार तो इसी बात पर विवाद इतना बढ़ गया कि विनोद ने उसे सरेराह ही अपमानित कर दिया। वो तो खैर थी कि उन्हे वहां कोई परिचित नही मिला।

उस दिन पहली बार दीपा को अहसास हुआ कि उस से कितनी बडी गलती हो गयी है। दीपा के पति तो उस से कभी नही पूछते थे कि वह फोन पर किस से बात करती है न ही वह कभी उसका फोन चैक करते थे। हमेशा उसका सम्मान करते थे। दीपा पर शक करना तो दूर की बात थी। और इधर वह अकेलापन दूर करने के लिए ऐसे इन्सान के चक्कर में पड़ गई थी जो अब उसके मानसिक व भावनात्मक तनाव का कारण बन चुका था।

उसे अब समझ आ गया था कि वह बैठे-बिठाए किस मकड़जाल में फंस चुकी है। उसी दिन दीपा ने विनोद का नंबर अपने फोन व सोशल मिडिया पे ब्लाक कर दिया था। पर कुछ दिन बाद विनोद ने फिर से दीपा का पीछा करना शुरू कर दिया। वह जहां भी जाती विनोद वहीं पहुंच जाता। नए- नए नंबरो से उसे फोन करता।

दीपा कभी भी ऐसी नही थी जैसा उसे इन हालात ने बना दिया था। वह तो सिर्फ अपने पति से प्यार करती थी। विनोद ने ही उसे अपनी बातों के जाल में फंसाकर ऐसे हालात में पहुंचा दिया था। मगर अब वह इन सब से निकलना चाहती थी और इस रिश्ते को यहीं विराम देना चाहती थी।

इसीलिए न चाहते हुए भी दीपा को उस से मिल कर बात करनी पड़ी। दीपा ने विनोद को काफी समझाया कि उनके बीच जो भी रिश्ता है उसका कोई भविष्य नही है इसलिए यह सब खत्म कर देना चाहिए। इस तरह शक करके लड़ाई- झगड़े करने का क्या फायदा??और जब विनोद को उस पर विश्वास ही नही है तो फिर ऐसे रिश्ते का क्या मतलब??

हालांकि विनोद को पता था कि दीपा का अपना परिवार है और वह किसी के लिए भी अपने परिवार को नही छोड़ सकती। फिर भी विनोद ने रो- रो कर दीपा से माफी मांग ली और दुबारा ऐसा न करने का वादा भी किया, साथ ही यह भी जता दिया कि यह सब ऐसे खत्म नही होने वाला। अब दीपा समझ चुकी थी कि विनोद इतनी आसानी से उसका पीछा छोड़ने वाला नही है।

यह रिश्ता उसके लिए एक मजबूरी बन चुका था साथ ही यह भी डर था कि कहीं विनोद उसके पति को यह सब न बता दे। इसलिए उसने खुद को समझा लिया कि जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दिया जाए।

फिर से वही सब फोन ,मैसेज, चैटिंग, विनोद का बात-बात पर सुनाना – कहां बिजी थी?? करो उसी से बात, उसने क्यों किया ऐसा कमैन्ट ?? इसको ब्लाक करो। इतनी देर आनलाइन?? किस से चैटिंग कर रही थी?? फिर खुद ही रूठ जाना और न मनाओ तो पीछा करना ,लड़ना-झगडना बस यही सब रह गया था। इस सब से दीपा बहुत परेशान हो चुकी थी।

आज दीपा विनोद से मिलने इसलिए गई थी क्योकिं वह इस रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहती थी।

पर दीपा की बात सुनकर विनोद कहने लगा- अब तुम्हे कोई और मिल गया है ना इसलिए मुझे छोड़ रही हो। और उसका फोन चैक करने की जिद करने लगा। दीपा को उम्मीद नही थी कि विनोद ऐसे रिऐक्ट करेगा। पर इस बार दीपा ने अपना फोन विनोद को नही दिखाया। दीपा ने खुद को समझाया कि वह सही हो या गलत किसी को हक नही है कि उसका फोन चैक करे। न ही उसे किसी को इतना हक देना चाहिए कि कोई उसे जलील करे या उसके आत्मसम्मान को चोटिल कर सके ।

इतनी जिल्लत दीपा ने कभी महसूस नही की थी। हां उस से एक बार गलती हुई थी पर वह इतनी गिरी हुई नही थी कि हर किसी से आशिकी करती फिरे । न ही उसे ऐसा करने की जरूरत थी।

अब दीपा ने सोच लिया था कि वह आज ही अपने पति को सब कुछ सच-सच बता देगी फिर चाहे जो सजा मिले। कम से कम उसे इस ब्लैकमेलिंग और जिल्लत से छुटकारा तो मिलेगा। उसका पति उसे जो भी सजा दे वह इस जिल्लत और बेइज्जती से ज्यादा तो नही होगी।

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