Ant and Grasshopper Funny Story in Hindi | टिड्डे और चींटी कि नयी कहानी

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम Ant and Grasshopper Funny Story in Hindi, टिड्डे और चींटी कि नयी कहानी लेकर आये हैं जो आपको जरुर पसंद आएगी तो चली बिना देर किये आज कि कहानी को शुरू करते हैं और पढ़ते हैं चींटी और टिड्डा, Chinti Aur Tidda Ki Kahani, चींटी और टिड्डे की कहानी, Ant and Grasshopper story in Hindi

Ant and Grasshopper Funny Story in Hindi

Ant and Grasshopper Funny Story in Hindi | टिड्डे और चींटी कि नयी कहानी

🐜 🐝एक समय की बात है एक चींटी और एक टिड्डा था .
गर्मियों के दिन थे,
🐜चींटी दिन भर मेहनत करती और अपने रहने के लिए घर को बनाती,
खाने के लिए
भोजन भी इकठ्ठा करती
जिस से की सर्दियों में उसे खाने पीने की
दिक्कत न हो और वो आराम से अपने घर में रह सके,
जबकि
🐝टिड्डा दिन भर मस्ती करता
गाना गाता

और 🐜चींटी को बेवकूफ समझता
मौसम बदला
और सर्दियां आ गयीं,
🐜चींटी अपने बनाए मकान में आराम से रहने लगी
उसे खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं थी
परन्तु
🐝 टिड्डे के पास रहने के लिए न घर था
और न खाने के लिए खाना
वो बहुत परेशान रहने लगा

दिन तो उसका जैसे तैसे कट जाता
परन्तु
ठण्ड में रात काटे नहीं कटती
एक दिन टिड्डे को उपाय सूझा
और उसने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई
सभी
न्यूज़ चैनल वहां पहुँच गए
तब 🐝 टिड्डे ने कहा कि ये कहाँ का इन्साफ है की एक देश में

एक समाज में रहते हुए
🐜चींटियाँ तो आराम से रहें और भर पेट खाना खाएं और और हम 🐝टिड्डे ठण्ड में भूखे पेट ठिठुरते रहें ?
मिडिया ने मुद्दे को जोर – शोर से उछाला,
और जिस से पूरी विश्व बिरादरी के कान खड़े हो गए.
बेचारा

🐝टिड्डा सिर्फ इसलिए अच्छे खाने और घर से महरूम रहे की वो गरीब है और जनसँख्या में कम है.
बल्कि
🐜चीटियाँ बहुसंख्या में हैं और अमीर हैं तो क्या आराम से जीवन जीने का अधिकार उन्हें मिल गया.
बिलकुल नहीं
ये 🐝टिड्डे के साथ अन्याय है.
इस बात पर कुछ समाजसेवी, 🐜चींटी के घर के सामने धरने पर बैठ गए .
तो कुछ भूख हड़ताल पर,
कुछ ने 🐝टिड्डे के लिए घर की मांग की.

कुछ राजनीतिज्ञों ने इसे पिछड़ों के प्रति अन्याय बताया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने🐝 टिड्डे के वैधानिक अधिकारों को याद दिलाते हुए.
भारत सरकार की निंदा की.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर,,,
🐝 टिड्डे के समर्थन में बाड़ सी आ गयी,
विपक्ष के नेताओं ने भारत बंद का एलान कर दिया.

कमुनिस्ट पार्टियों ने समानता के अधिकार के तहत 🐜चींटी पर “कर” लगाने
और
🐝टिड्डे को अनुदान की मांग की,
एक नया क़ानून लाया गया
“पोटागा” (प्रेवेंशन ऑफ़ टेरेरिज़म अगेंस्ट ग्रासहोपर एक्ट).
🐝टिड्डे के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर दी गयी.

अंत में पोटागा के अंतर्गत🐜 चींटी पर फाइन लगाया गया .
उसका घर सरकार ने अधिग्रहीत कर टिड्डे
को दे दिया .
इस प्रकरण को मीडिया ने पूरा कवर किया
🐝 टिड्डे को इन्साफ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की .
समाजसेवकों ने इसे समाजवाद की स्थापना कहा

तो किसी ने न्याय की जीत,
कुछ
राजनीतिज्ञों ने उक्त शहर का नाम बदलकर
🐝”टिड्डा नगर” कर दिया,
रेल मंत्री ने🐝 “टिड्डा रथ”
के नाम से नयी रेल चलवा दी.
और कुछ नेताओं ने इसे समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन की संज्ञा दी.
🐜चींटी भारत छोड़क
अमेरिका चली गयी .
वहां उसने फिर से मेहनत
की .
और एक कंपनी की स्थापना की
जिसकी दिन रात
तरक्की होने लगी

तथा अमेरिका के विकास में सहायक सिद्ध हुई
🐜चींटियाँ मेहनत करतीं रहीं
🐝टिड्डे खाते रहे .
फलस्वरूप धीरे-धीरे,
🐜चींटियाँ भारत छोड़कर जाने लगीं
और 🐝टिड्डे झगड़ते रहे
एक दिन खबर आई
की .
अतिरिक्त आरक्षण की मांग को लेकर
सैंकड़ों 🐝🐝🐝टिड्डे मारे गए

ये सब देखकर अमेरिका में बैठी 🐜चींटी ने कहा “
इसीलिए शायद भारत आज
भी विकासशील देश है”
चिंता का विषय:
जिस देश में लोगो में
“पिछड़ा”
बनने की होड़ लगी हो
वो “देश”
आगे कैसे बढेगा।
🙏🙏🙏🙏

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