नन्हीं राजकुमारी और चंद्रमा | Nanhi Rajkumari aur Chandrama ki Kahani – Moon Story in hindi

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Moon Story in hindi
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नन्हीं राजकुमारी और चंद्रमा | Nanhi Rajkumari aur Chandrama ki Kahani – Moon Story in hindi

Nanhi Rajkumari aur Chandrama ki Kahani: बहुत पुरानी बात है, समुद्र किनारे एक नन्हीं सी राजकुमारी रहती थी। एक दिन उसने इतनी चटनी खा ली कि बीमार हो गई। डॉक्टर ने भी उसे देखा तो चिंता में पड गया। राजा ने राजकुमारी से पूछा “बताओ, तुम्हें क्या चाहिए?” राजकुमारी बोली “अगर मुझको चंद्रमा मिल जाए तो मैं ठीक हो जाऊँगी।”

राजा के पास एक से बढ़कर एक जानकार विद्वानों की भीड़ लगी रहती थी। यह उनसे जो माँगता ये हाजिर कर देते थे। इसलिए राजा ने कह दिया, “ठीक है, तुमको चंद्रमा मिल जाएगा।” राजा ने दरबार में पहुँचकर मंत्री को बुलाया। मंत्री तुरत हाजिर हो गया। राजा के कहा- “मंत्री जी राजकुमारी को चंद्रमा चाहिए, तभी उसकी तबीयत ठीक होगी। आज रात या ज्यादा से ज्यादा कल तक हर हाल में चंद्रमा चाहिए।” यह सुनकर मत्री पसीना-पसीन हो गया और बोला “महाराज चंद्रमा लाना तो असंभव है।

चंद्रमा पैतीस हजार मील दूर है। यह पिघले ताँबे का बना है और राजकुमारी के कमरे से बड़ा है।” मंत्री की बातें सुनकर राजा गुस्सा हो गया। उसने मंत्री को तुरत जादूगर को हाजिर करने का हुक्म दिया। जादूगर ने नीले रंग का लबादा पहन रखा था। कलगीदार टोपी में चाँदी के सितारे चमक रहे थे और लबादे पर सोने के उल्लू बने थे। मगर जब राजा ने राजकुमारी की इच्छा बताई तो उसका चेहरा पील पड गया।

जादूगर बोला “राजा साहब, चंद्रमा तो कोई नहीं ला सकता। चंद्रमा तो एक लाख पचास हजार मील दूर है, हरे पनीर का बना है और महल से दो गुना बडा है।” राजा आग बबूला हो गया। उसने कहा “मुझे तुम्हारी बकवास नहीं सुननी। अगर चंद्रमा नहीं ला सको तो फौरन यहाँ से दफ़ा हो जाओ।” तब राजा ने अपने राज्य के सबसे बडे गणितज्ञ के बुलाया। वह गंजा था और उसके दोनों कानों में पेसिल लगी थी। उसके काले चोंगे पर सफेद अंक चमक रहे थे।

गणितज्ञ के आते ही राजा ने कहा “देखो, मुझे अपनी बेटी के लिए चंद्रगा चाहिए और तुम्हें इसका जुगाड़ करना है।” गणितज्ञ बोला महाराज! चंद्रमा तो तीन लाख मील दूर है। वह सिक्के की तरह गोल और चपटा है और आसमान में चिपका है, चंद्रमा को कोई भी पृथ्वी पर नहीं ला सकता।” राजा गुस्से से लाल-पीला हो गया।

अब उसने सबसे ऊबकर विदूषक को बुलाने के लिए घंटी बजाई। रंग-विरंगी कतरनों से बने कपडे और टोपी लगाए, छलॉग मारते वह राजा के पास आ गया और बोला “महाराज मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ।” राजा बोला “राजकुमारी को चंद्रमा चाहिए और जब तक राजकुमारी को चंद्रमा नहीं मिल जाता वह ठीक नहीं हो सकती।” विदूषक ने पूछा विद्वानों के मुताबिक चाँद कैसा है, कितना बडा है और कितनी दूर है?”

राजा योला “मंत्री कहता है, चंद्रमा पैंतीस हजार मील दूर है, राजकुमारी के कमरे से बडा है। जादूगर कहता है, चंद्रमा एक लाख पचास हजार मील दूर है, महल से दो गुना बडा है और गणितज्ञ सोचता है कि चंद्रमा तीन लाख गील दूर है और मेरे राज्य का आधा है। विदूषक बोला “जब विद्वान ऐसा कह रहे हैं तो सच ही होगा। अब करना यह है कि राजकुमारी से भी पूछें, चंद्रमा कितना बड़ा है और कितनी दूर है।” यह कहकर विदूषक उछलता-कूदता राजकुमारी के कमरे में जा पहुँचा।

विदूषक को देखकर राजकुमारी मुस्करा दी और बोली ‘क्या तुम मेरे लिए चंद्रमा लाए हो ?” विदूषक बोला “अभी तो नहीं पर हॉ जल्दी ही ले आऊँगा। अच्छा बताओ चंद्रमा कितना बड़ा है ? राजकुमारी बोली” अरे! तुमको नहीं पता? चंद्रमा मेरे नाखून से जरा-सा छोटा होगा, क्योंकि जब मैं अंगूठा चंद्रमा के सामने करती हूँ तो यह ढक जाता है”

विदूषक बोला – “और चंद्रमा कितनी दूर होगा?” राजकुमारी बोली “मेरी खिड़की के बाहर जो पेड़ है उससे तो ऊँचा नहीं होगा क्योंकि वह कभी-कभी पेड़ की टहनियों में उलझ जाता है।” “वह किस धातु का बना होगा ?”- विदूषक ने पूछा। “अरे! यह भी कोई पूछने की बात है ? चंद्रमा तो सोने का बना होता है” राजकुमारी बोली। विदूषक बोला “अच्छी बात है। आज रात जब चंद्रमा टहनियों में उलझेगा तो मैं उसको उतार लाऊँगा।” राजकुमारी बोली- ‘जरूर, मुझे

जल्द से जल्द सोने जैसा चंद्रमा ला दो।” विदूषक महल से सीधा सोनार के पास गया औ राजकुमारी के नाखून से जरा छोटा सोने का चंद्रमा बनवा लिया। उसे सोने के तार में पिरोक राजकुमारी के पास ले आया। राजकुमारी खुश हो गई और सुबह बाग में चहकते हुए खेल् लगी। वह स्वस्थ हो गई थी।

राजा अब भी चितित था। उसे पता था रात को जब घद्रमा निकलेगा तो बिटिया फिर बीमार होगी। उसने मंत्री को बुलाया और कहा – “कुछ ऐसा उपाय करो कि राजकुमारी आज की रात चंद्रमा न देख पाए।” बहुत सोच विचार कर मंत्री बोला “राजकुमारी को काला चश्मा पहना देना चाहिए तो चंद्रमा दिखेगा ही नहीं।” राजा चिड़चिडा हो गया और बोला- “अगर राजकुमारी काला चश्मा पहनेगी तो चीजों से टकराएगी। इससे उसे नई बीमारी हो सकती है।

अब जादूगर को बुलाया गया। उसने सुझाया कि महल के चारो ओर काले मखमल है ऊँचे-ऊँचे परदे तान दें तो चंद्रमा हर हाल में छिप जाएगा। राजा को सुनते ही गुस्सा आय “अरे! इससे तो बेटी का दम घुट जाएगा।” तब गणितज्ञ बुलाया गया उसने भी जोड़ घटाक बताया कि बगीचे में जमकर रंग-बिरंगी आतिशबाजी की जाए तो इस चकाचौंध में चाँद दिखाई ही नहीं देगा। राजा को इस बात पर इतना गुस्सा आया कि वह चीखने लगा “आतिशबाजी होगी तो बिटिया सो नहीं पाएगी और सोएगी नहीं तो बीमार हो जाएगी। भागो जाओ यहाँ से।”

इन सबके जाने के बाद विदूषक आया। राजा ने कहा “वह देखो राजकुमारी के खिड़की पर चंद्रमा चमक रहा है। अब वह देखेगी कि उसके गले में पड़ा चंद्रमा आसमान चमक रहा है तो उस पर क्या बीतेगी।”

विदूषक धुपके से संगमरमर की सीढियों चढ़कर राजकुमारी के कमरे में पहुँच गया राजकुमारी बिस्तर पर लेटी चंद्रमा को देख रही थी। उसके हाथ में चंद्रमा का लॉकेट विदूषक बोला- कितनी अजीब बात है चंद्रमा आसमान में चमक रहा है जबकि वह तो जजीर के सहारे तुम्हारे गले में लटक रहा है।” राजकुमारी खिलखिलाकर हँस पड़ी,

तुम तो एकदम बुद्ध हो। इसमें अजीब बात क्या है। जब मेरा कोई दाँत टूट जाता है तो उसी जगह दूसरा नहीं उग आता?” विदूषक बोला” अरे हाँ! जानवर की सींग झड जाती है तो वह भी फिर से आ जाती

है। इतनी सी बात मेरी अक्ल में क्यों नहीं आई।” राजकुमारी बोली- “ऐसा दिन, रात, रोशनी, चंद्रमा सबके साथ होता है।” विदूषक ने देखा कि धीमे-धीमे बुदबुदाते हुए राजकुमारी खुशी-खुशी सो गई है।

विदूषक मुस्कुराता हुआ कमरे से बाहर आ गया। Moon Story in hindi

यह कहानी नन्हीं राजकुमारी और चंद्रमा, Nanhi Rajkumari aur Chandrama ki Kahani – Moon Story in hindi प्रख्यात अमेरिकन लेखक जेम्स थर्बर की कहानी ‘मैनी मून्स” का हिंदी रूपांतर है।

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